Date : 08 Nov 2024
रांची डेस्क: राज्य में हजारों की संख्या में प्रज्ञा केंद्रों का संचालन होती है, लगभग सभी पंचायत और शहरों में यह केंद्र स्थापित है जहां राज्य और केंद्र सरकार के कई योजनाओं का संचालन किया जाता है ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंच सके लेकिन सरकारी तंत्र का सिस्टम इतना लचर है आज कुछ प्रज्ञा केंद्र बंद हो गया है और कुछ बंद होने के कगार में है और जो अभी चालू है वो किसी तरह जीवन यापन कर रहे है। कुछ प्रज्ञा केंद्रों के संचालकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमलोग लाखों रुपए लगाकर केंद्र खोलते है, जिसमें सिर्फ सरकार के पोर्टल से आई डी, पासवर्ड मिलता है, उसके बाद महीने का इंटरनेट से लेकर बिजली, स्टाफ, दुकान का किराया खर्च करते है और इसी केंद्र पर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण भी होता है। लेकिन आज सरकार की उदासीन रवैया के कारण हमलोग का बुरा हाल हो गया है। एक तो एक ही जगह पर कई प्रज्ञा केंद्र खोल दिया जाता है, जिससे ग्राहकों की संख्या घट जाती है, साथ ही अब तो गांव में भी लोग एंड्रॉयड फोन पर बिल भुगतान, टिकट बुक करना, पैसे का लेन देन इत्यादि कर लेते है, यहां तक कि सरकारी योजनाओं में भी अपने फोन से ही आवेदन कर देते है। और जब सरकार की और से कोई योजना आती है जिसपर कम समय में टारगेट रहता है, जैसे आयुष्मान कार्ड, श्रमिक कार्ड, मैया सम्मान योजना इत्यादि में दिन रात मेहनत करके टारगेट को पूरा की जाती है लेकिन भुगतान महीनों बाद मिलता है वो भी बार बार दबाव बनाने के बाद। अब हमलोग करे तो करे क्या, मजबूर इसलिए है क्योंकि लाखों रुपए लगा चुके है। जरूरत है सरकार इस विषय पर ध्यान देने की, ताकि प्रज्ञा केंद्रों के संचालकों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो और बेहतर तरीके से सरकार के योजना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा सके। सरकार को प्रज्ञा केंद्रों के संचालकों को कुछ महीने का मानदेय में पहल करने की जरूरत होनी चाहिए।
