पाकुड़ संवाददाता: लगातार रामभक्त सेवा दल सामाजिक जन मुद्दों पर आवाज उठाने का कार्य कर रही है, वही सोमवार को संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राहुल कुमार सिंह के द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र प्रेषित किया गया। पत्र के माध्यम से राहुल ने लिखा कि जिला सहित राज्य के हर जिलों में अनगिनत निजी विद्यालय का संचालन हो रहा है। कई विद्यालय ऐसे भी हैं जो किसी सरकारी रिकॉर्ड में भी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि एक ओर जहाँ सरकार राज्य में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं विभागीय लापरवाही के कारण निजी विद्यालय फल फूल रहा है। ज्ञात हो झारखंड प्रदेश में प्राइवेट विद्यालयों को ड्रेस, कॉपी, किताब, कलम आदि बेचने का अधिकार नहीं है। झारखंड सरकार ने प्राइवेट विद्यालयों को यह अधिकार देने से इनकार कर दिया था। झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया था , जिसमें कहा गया है कि प्राइवेट विद्यालय ड्रेस, कॉपी, किताब, कलम आदि की बिक्री नहीं कर सकते हैं। यह आदेश झारखंड प्राइवेट स्कूल एक्ट, 2017 के तहत जारी किया गया था। इसके अलावा, झारखंड सरकार ने प्राइवेट विद्यालयों को यह निर्देश दिया था कि वे अपने छात्रों को ड्रेस, कॉपी, किताब, कलम आदि की खरीदारी के लिए बाहरी विक्रेताओं की सूची प्रदान करेंगे।

लेकिन दुर्भाग्य है कि सारे नियमो को ताक पर रखकर खुलेआम निजी विद्यालयों के द्वारा मनमानी की जा रही है। ऐसी स्थिति में कमजोर वर्ग के माता पिता को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने सुचिवार लिखा की राज्य में कानून लागु होने के बाद भी निजी विद्यालयों द्वारा स्कूलों में किताब, कॉपी, कलम , बैग , ड्रेस इत्यादि की बिक्री की जा रही है। बच्चो से अनाप शनाप फीस लिया जा रहा है। नामांकन एक बार होता है, लेकिन हर वर्ष नामांकन के नाम से शुल्क , वार्षिक शुल्क सहित अन्य कई प्रकार के शुल्क दबाब बनाकर लिया जाता है। शुल्क के हिसाब से व्यवस्था शून्य रहती है। कई विद्यालय हैं, जिनमे फायर सेफ्टी तक लगा नहीं है। एक ही क्लास में सरकार द्वारा तय मानक से अधिक संख्या में बच्चो को बैठाया जाता है। गरीबी रेखा से नीचे के बच्चो को स्कूल में भर्ती करने के आदेश का पालन भी सही तरीके से नहीं हो रहा है। जाँच करने पर इसका खुलासा हो जायेगा। राज्य में अवैतनिक पत्रकारों के कम से कम दो बच्चो को किसी भी निजी विद्यालय में निशुल्क पढ़ाने की पहल होनी चाहिए। निजी विद्यालय द्वारा हर माह के एक निर्धारित तिथि तय की जाती है मासिक शुल्क के लिए, और उस तिथि के अंदर फीस नहीं देने से मनमानी तरीके से फाइन लिया जाता है। 80 % निजी विद्यालय सिर्फ जिला से UDISE (यूनिफ़ाइड डिस्ट्रिक्ट इंफ़ॉर्मेशन सिस्टम फ़ॉर एजुकेशन) प्राप्त कर विद्यालय का संचालन करते हैं, लेकिन आगे की प्रक्रिया पूरा करके मान्यता नहीं लेते हैं, UDISE को ही मान्यता दिखा कर बच्चो का नामांकन करवा कर कारोबार करते हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री से सकारात्मक पहल करने की गुहार लगाया, साथ ही उन्होंने मीडिया को बताते हुए कहा कि जल्द इस मामले पर पूरे राज्य के हर जिला में धरना सहित अन्य कार्यक्रम किया जायेगा ताकि प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बंद हो सके और समाज के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। उन्होंने राज्य के सभी माता-पिता को एकजुट होने का आह्वान किया और इस लड़ाई में संगठन का साथ देने की अपील की। मौके पर संगठन के जिला अध्यक्ष सनातनी रतन भगत, रोहित भगत, दुलाल सिंह, जीत मंडल सहित अन्य मौजूद थे।