पाकुड़ : चाहे राज्य हो या केंद्र सरकार, सभी कानून के नियमों के अनुरूप ही चलते है। हम बात कर रहे है रोजगार सेवक जो सरकार द्वारा वेतन पर नियुक्त किया जाता है। वही नियम की माने तो एक रोजगार सेवक के रूप में कार्यरत व्यक्ति अपने पत्नी का नाम लेबर कार्ड में चढ़ाकर सरकार से पैसा नहीं ले सकता है। लेबर कार्ड का उपयोग केवल उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो श्रमिक हैं और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए योग्य हैं।

रोजगार सेवक होने के नाते, व्यक्ति को पहले से ही सरकार से वेतन मिल रहा है, इसलिए वह लेबर कार्ड के माध्यम से अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं है। लेबर कार्ड एक ऐसा दस्तावेज है जो श्रमिक के लिए जारी किया जाता है और यह दर्शाता है कि वह एक पंजीकृत श्रमिक है। इस कार्ड का उपयोग विभिन्न सरकारी योजनाओं और लाभों के लिए किया जाता है। लेबर कार्ड का उपयोग करके, श्रमिक सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न योजनाओं, जैसे कि आवास योजनाएं, स्वास्थ्य योजनाएं, और शिक्षा योजनाएं, का लाभ उठा सकता है। लेकिन इतने सारे नियम होने के बाद ही रक्षक खुद बन गए है भक्षक।

मामला सदर प्रखंड अंतर्गत बन विक्रमपुर गांव का रहने वाला मैमूर अली जो वर्षों से राज्य सरकार में आ रहे है। इन्होंने कानून की या कहे नियमों की परिभाषा ही बदल दिए है, खुद सरकारी कर्मी होने के बावजूद अपने पत्नी सबनम आरा के नाम से जॉब कार्ड बनवा लिए है जिसका नंबर है JH-14-001-022-001/99 पर पंचायतों में अवैध तरीके से डिमांड मार कर सरकार के पैसों की निकासी वर्षों से करते आ रहा है। रोजगार सेवक की चालाकी इस प्रकार से है अगर विश्वनीय सुत्र की माने तो अब तक कई पंचायतों में इस तरह का कारनामा इनके द्वारा किया जा चुका है। सदर प्रखंड के नवरोत्तमपुर, रहसपुर, दादपुर सहित लिट्टीपाड़ा प्रखंड में भी कई जालसाजी कार्य कर चुके है। शुत्रों की माने तो अबुआ आवास योजना सहित अन्य कई सरकारी योजनाएं है जिसमें लेबर डिमांड मारने के लिए लाभुक से पैसा मांगा जाता है।

फिलहाल ये व्यक्ति अपने गृह पंचायत में कार्यरत है तथा यह अपने लोगों को भी नहीं छोड़ते है। लोगो का मानना है कि इनके द्वारा कहा जाता है कि नीचे से ऊपर तक सब हमारे जेब में है जैसे कई बातों को बोलकर धमकी देते है। इस मामले पर रोजगार सेवक को पहने किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और प्रखंड विकास पदाधिकारी अल्फ्रेड मुर्मू ने कहा कि अभी हम छुट्टी में है, सीओ को प्रभार देकर आए है वही सीओ को फोन किया गया तो उनके द्वारा फोन उठाया नहीं गया।जरूरत है ऐसे मामलों पर विभाग के वरीय अधिकारी एवं जिले के उपायुक्त को संज्ञान लेने की और जांच उपरांत कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की ताकि सरकार की योजना अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके और जनता के बीच सरकार की छवि खराब न हो।