पाकुड़ संवाददाता: इन दिनों जिले भर में कुछ शातिर लोगों के द्वारा अवैध तरीके से भोले भाले जरूरतमंद लोगों को अपने जाल में फंसा कर सुध ब्याज का कारोबार संचालित किया जा रहा है और सबसे बड़ी बात इसकी भनक तक जिला प्रशासन को नहीं है। नाम न छापने के शर्त पर ग्वालपाड़ा निवासी एक पीड़ित ने अपनी दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि आज से एक वर्ष पहले उनको कुछ पैसे की जरूरत पड़ गई थी, एक मित्र के द्वारा एक व्यक्ति के पास वो गया, वहां उसे एक बैंक का चेक लेकर आने को बोला गया। उसके बाद उस व्यक्ति ने चेक पर लिए गए रकम का दोगुना रकम भड़ कर साइन करवा लिया गया साथ ही एक कोर्ट के स्टांप पेपर पर भी साइन करवा लिया गया और कहा गया कि हर महीने

के दस तारीख के अंदर 10% ब्याज रकम का जमा करना अनिवार्य होगा। ज्ञात हो झारखंड में पैसे उधारी या ब्याज में देने के लिए कई नियमों और मान्यताओं का पालन करना होता है जैसे भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 294, 323, और 506 के तहत, पैसे उधारी या ब्याज में देने के लिए कुछ नियम और शर्तें निर्धारित की गई हैं। ऋण अधिनियम, 1938 के तहत ऋण देने और लेने के नियमों को निर्धारित करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। अगर पूरी नियमों को देखा जाए तो पैसे उधारी या ब्याज में देने के लिए लिखित समझौता उतना ही रकम का होना चाहिए जितना लिया गया है, उससे ज्यादा का नहीं। ब्याज दर आरबीआई द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार होनी चाहिए। ऋण की शर्तें स्पष्ट और पारदर्शी होनी चाहिए। लेकिन इन तमाम नियमों को ताक पर रखकर कुछ लोग मनमानी तरीके से ब्याज वसूलने का कार्य कर रहे है वो भी दबंगई से, जिससे मुसीबत में लिए गए पैसों को वापस करते करते कितनो का घर जमीन भी बिक जाती है मतलब पुराने जमाने में जैसे अंग्रेजो और जमींदारों के द्वारा किया जाता था। जरूरत है इस मामले पर जिला प्रशासन को पहल करने की ताकि नियमों का पालन करते हुए लोग सुध ब्याज का कारोबार करें।