पाकुड़: नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 11 की पक्की सड़क बीते दो दशकों से अपनी बदहाली पर आँसू बहा रही है। लगभग 20 वर्ष पूर्व बनी यह सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि राहगीरों को चलना पहाड़-पर्वत पार करने जैसा प्रतीत होता है। गड्ढों से भरी यह सड़क स्थानीय नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है, परंतु न तो किसी जनप्रतिनिधि ने इस दिशा में गंभीरता दिखाई है, और न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी अब तक सुध लेने पहुँचा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पूरे जिले में कई नई पक्की सड़कों का निर्माण कराया गया है, लेकिन यह एक सड़क मानो विकास से उपेक्षित रही है। इलाके के लगभग 25 मोहल्लेवासियों ने कई बार अखबारों, सोशल मीडिया और नगरपालिका में शिकायत दर्ज कराई, परंतु हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नागरिकों में रोष इस बात को लेकर भी है कि नगरपालिका समय पर टैक्स वसूली के लिए हर घर में दस्तक देती है, परंतु जनता की मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी की जाती है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नेता सिर्फ चुनावी मौसम में बड़े-बड़े वादों के साथ मोहल्ले में दिखाई देते हैं। अखबारों में छपवाकर और सोशल मीडिया पर फोटो खिंचवा कर स्वयं को समाजसेवी और बड़े नेता साबित करने की कोशिश करते हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत यह है कि वर्षों से जर्जर पड़ी इस सड़क की ओर किसी ने मुड़कर नहीं देखा। जनता अब यह जानना चाहती है कि आखिर इस बदनसीब सड़क का उद्धार कब होगा? क्या अधिकारी और जनप्रतिनिधि कभी इस ओर ध्यान देंगे या यह सड़क यूँ ही राजनीति की धूल में दबकर दम तोड़ती रहेगी?