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मीडियाकर्मी पर हमला और हत्या की साजिश में सरैयाहाट थाना के कई पुलिस कर्मी शामिल

Publish Date: 10 Nov 2024, Time: 08:24 AM

दुमका से सुशील झा की रिपोर्ट: एक बड़ा मामला प्रकाश में आया है और वो ये कि झारखंड की उप राजधानी दुमका के सरैयाहाट थाना की  पुलिस की नाकामी सामने आई है । मामले का खुलासा दुमका जिला के आर.टी.आई.एक्टिविस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष और इलेक्ट्रॉनिक-मीडिया के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर ने सरैयाहाट थाना के वर्तमान से पूर्व के तीन थानाप्रभारी अनुज यादव , उसके बाद के थाना प्रभारी विनय कुमार (यादव) और पुनः उसके बाद के थाना प्रभारी निरंजन कुमार तथा अन्य कुछ नामित पुलिसकर्मी के उस गैरकानूनी-क्रियाकलाप की जानकारी आर.टी.आई.के तहत दुमका जिला-पुलिस-मुख्यालय के जनसूचना पदाधिकारी-सह-पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालय से प्राप्त किया है, जो आम नागरिक की सुरक्षा और न्याय दिलाने में पहने गए वर्दी को शर्मसार करता है । जी हाँ, हम बात कर रहे हैं दुमका जिला के सरैयाहाट थाना में एक-के-बाद एक जानबूझकर रखवाए जाते रहे एक खास जाति के थाना-प्रभारियों की मनबढ़ंत कारगुजारी की और इसे झेलनेवाले उस थाना क्षेत्र के लोगों को उनके न्याय के हक के बदले हमेशा मिलते रहे विचित्र पीड़ा और यातनाओं की जिसके उजागर से संबंधित पुख्ता सबूतों को आर.टी.आई.एक्टिविस्ट और सूचनाधिकार कार्यकर्ता एसोसिएशन के दुमका-जिलाध्यक्ष के द्वारा जिला-न्यायालय में सुपुर्द कराते हुए अब झारखंड पुलिस महानिदेशक, रांची के पास भेजा गया है जिसपर झारखंड DGP ने संज्ञान लेते हुए दुमका DSP को पत्र जारी किया है। जो भी हो पुलिस को जहां रक्षक के रूप में कहा गया है, वही अक्सर पत्रकारों को टारगेट कर पुलिस झूठा मुकदमा में फंसाने का कार्य आम बात हो गई। और हमारा देश का न्यायालय जहां निर्दोष को भी जेल जाना होता है, मतलब सच्चाई लिखने पर जेल जाना पड़े और देश का कानून भी ऐसा ही है। विशेष कर झारखंड में पत्रकारों पर हमला आम बात हो गई है। पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। भाई आखिर देश के नए कानून में पुलिस को ज्यादा पावर जो मिली है।

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