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मंईया सम्मान योजना को लेकर टेंशन में हेमंत सरकार 02, सरकार को लेना पड़ सकता है कर्ज

चुनौती है लेकिन संभव भी है। वित्त मंत्री

रांची डेस्क: राज्य में चुनाव खत्म होते ही जनता ने बहुमत देकर इंडी गठबंधन को बहुत दे दिया, हेमंत 02 ने मुख्यमंत्री का शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है। अब जिस उम्मीद से राज्य की जनता ने हेमंत सरकार को बहुमत दिया है, अब समय है उन सभी वादों को निभाने का, क्योंकि जनता का ध्यान उन्हीं सब वादों पर है, जिसमें से महत्वपूर्ण वादा मंईयां सम्मान योजना है, जिसे प्रमुखता से हेमंत सहित इंडी गठबंधन ने जनता के बीच रखा था। वही सीएम बनने के बाद भी आज यानि 11 दिसंबर को मंईयां सम्मान योजना की पांचवीं किस्त जो 2500 है भी लाभूकों के खाते में जाना शुरू हो जायेगा। लेकिन हेमंत सरकार के लिए इस योजना को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए फंड की आवश्यकता है। अब सवाल यह है कि इस योजना पर खर्च होने वाले राशि का इंतजाम कैसे होगा? विशेष सूत्र की बात करें तो सरकार के लिए भी पैसे जुटाना एक चुनौती है, क्योंकि बजट में मंईंयां सम्मान योजना के लिए कोई प्रावधान नहीं था। घोषणा तो हो गया, किश्त भी जारी किया जा चुका है, लेकिन अब यह सरकार के लिए एक बहुत बड़ा बोझ बन गया है। वैसे तो पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लगा हुआ था, जिसके कारण कई विभागों के योजना का पैसा खर्च नहीं हो पाया था, आपको बता दे अब तक कुल 12 विभागों से कुल चार हजार करोड़ सरकार ने मंईयां योजना के लिए इंतजाम भी कर चुका है। समाज कल्याण और ऊर्जा मंत्रालय का भी कई योजना की राशि वापस कर इस योजना में लगाया गया है। वही इस मामले पर राज्य के वित्तमंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य में जरूरतमंदों के हित को ध्यान में रखते हुए मंईयां सम्मान योजना शुरुआत की गई थी और इसे सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए धन की आवश्यकता होगी, इसके लिए सरकार राजस्व जुटाने की तैयारी में लग गई है। चुनौती तो है, लेकिन संभव है। उन्होंने कहा कि राज्य को उतना राजस्व संग्रह नहीं मिल सका है, जितना मिलना चाहिए। जिसको लेकर राज्य सरकार संसाधन बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। वैसे राज्य का वित्तीय प्रबंधन बेहतर है। जल्द राज्य सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगी। एक मीडिया की रिपोर्ट माने तो फिलहाल सरकार पेयजल, ग्रामीण विकास और खाद्य आपूर्ति समेत करीब एक दर्जन विभागों से 4000 करोड़ सरेंडर करवाए हैं, पेयजल से 1400 करोड़, ग्रामीण विकास से 900 करोड़ और खाद्य आपूर्ति से 600 करोड़ सरेंडर हुए हैं। योजना, कृषि, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और जल संसाधन के अलावा खनन सेस से 1000 करोड़ भी पैसा सरेंडर किया है।

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