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संथाल परगना स्थापना दिवस पर आदिवासी छात्राओं ने सिदो- कान्हु मुर्मू एवं चांद- भैरो मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया

पाकुड़ संवाददाता : संताल परगना स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आज रविवार को के०के०एम० कॉलेज पाकुड़ के आदिवासी छात्राओं ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सिदो- कान्हु मुर्मू एवं चांद- भैरो मुर्मू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। जैसे कि हमलोग जानते है संताल हुल 30 जुन 1855 से साहेबगंज जिला के भोगनाडीह से शुरू हुई थी जिसमें सिदो- कान्हु जैसा 30000 हजार से भी अधिक वीर सपूतों ने भाग लिया था, यह आंदोलन अंग्रेजों के साथ- साथ महाजन प्रथा के विरोध में जोरदार आंदोलन हुआ था संताल परगना प्रमंडल के आदिवासियों के अलावा अन्य समुदाय के लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई थी, यही नहीं इस आन्दोलन में महिलाओं ने भी बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया। पुरुषों का नेतृत्व सिदो- कान्हु चांद- भैरो और महिलाओं का नेतृत्व फूलों- झानो कर रही थी। इस लड़ाई में कई बार नरसंहार भी हुए काफी लोगों की जाने गई। परन्तु बाद मे इसका सुखद:परिणाम देखने को मिला और इसी आंदोलन ने इतना बड़ा रूपरेखा तैयार किया कि बिहार के भागलपुर और पश्चिम बंगाल के बीरभूम के कुछ हिस्सों को मिलाकर 22 दिसंबर 1855 को संताल परगना जिला का निर्माण किया,बाद में यह प्रमंडल बन गया,बनने के बाद यहां के लोगों को भविष्य में परेशानी न हो इसके लिए कई विशेष कानून बनाए गए जिसमें संताल परगना काश्तकारी अधिनियम जो प्रमुख हैं जिसके तहत आदिवासी की जमीन की खरीद- बिक्री पर रोक रहती हैं यही नहीं इस कानून के तहत आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति को भी बचाने का प्रयास किया जाता है यह आदिवासियों के लिए सौभाग्य है जिसके चलते आदिवासी सिदो -कान्हु मुर्मू,चांद -भैरो मुर्मू एवं फूलों- झानो मुर्मू को भगवान के रूप में पूछते है मौके पर छात्रनायक जयसेन सोरेन, छात्रनेता कमल मुर्मू, होपना सोरेन,स्टीफन मुर्मू, दानिएल किस्कू,संदीप,अमित आदि मौजूद रहे।

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